आम आदमी को महंगाई की मार, मंत्रियों को नयी कार
भाजपा हाइकमान एक तरफ ऐलान कर रहे हैं कि उनकी पार्टी महंगाई के खिलाफ अब हर रोज केन्द्र सरकार से दो दो हाथ करेगी। उनका मकसद साफ है। वे जनता को राहत दिलाना चाहते हैं और इसी मकसद को लेकर दो दिन पहले देशव्यापाी बंद का आयोजन किया गया था। जनता को राहत मिली हो या न मिली हो, भाजपा और उसके साथी दलों को जरूर आम आदमी का भरोसा मिला। इस भरोसे को आगे ले जाते इसके पहले मध्यप्रदेश की जनता को जोर का झटका बहुत जोर से लगा जब अखबारों में खबरें आयी कि प्रदेश सरकार अपने मंत्रियों को नयी गाड़ी और नये बंगले देगी। यही नहीं, स्टेट गैरेज से दो चालक भी दिये जाएंगे। सरकार के इस फैसले का अर्थ तो सरकार जानें लेकिन आम आदमी का निराश होना स्वाभाविक है।
जो नेता कल महंगाई को लेकर हल्ला मचा रहे थे, अब वही नेता नयी गाड़ियों में घूमेंगे। नये बंगलों में रहेंगे और आम आदमी दो जून की रोटी के लिये मर मर कर जीता रहेगा। सरकार अपने मंत्रियों को यह सुविधाएं पहली बार नहीं दे रही है और न ही सुविधाभोगी मंत्रियों की यह पहली बार सूची है। पूर्ववर्ती सरकारों के जमाने में भी ऐसा और कहीं इससे ज्यादा होता रहा है। फैसले का यह वक्त गलत तय किया गया। आज जब महंगाई के लिये जनता के हक में राजनीतिक दल सड़कों पर उतर रहे हैं, तब ऐसी घोषणा आम आदमी को रूला देती है। इसी सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव के पहल की तारीफ की जानी चाहिए जिन्होंने मंत्रालय का काम मंत्रालय में करने की नीति के तहत बंगले से आफिस को बंद कर दिया। इससे न केवल काम में सुविधा होगी बल्कि दोहरे स्टेबलिसमेंट का खर्च बच सकेगा। मंत्री भी आखिर एक सामाजिक प्राणी हैं और उनकी निजता भी होती है किन्तु बंगले में कार्यालय होने से मंत्री की निजता पर बाधा होती है।
हमारी अपेक्षा है कि बाकि मंत्री भी गोपाल भार्गव के नक्शेकदम पर चलकर कुछ मॉडल पेश करें। गोपाल भार्गव से भी हमारी अपेक्षा है कि सरकार के ताजा फैसले को वे अपने ऊपर लागू होने से खुद को बचायें एवं दूसरों को भी ऐसा करने के लिये प्रेरित करें। इससे न केवल नेताओं का आदर्श आम आदमी के सामने प्रस्तुत होगा बल्कि सरकार की छवि भी आम आदमी में अच्छी बन सकेगी।
भाजपा हाइकमान एक तरफ ऐलान कर रहे हैं कि उनकी पार्टी महंगाई के खिलाफ अब हर रोज केन्द्र सरकार से दो दो हाथ करेगी। उनका मकसद साफ है। वे जनता को राहत दिलाना चाहते हैं और इसी मकसद को लेकर दो दिन पहले देशव्यापाी बंद का आयोजन किया गया था। जनता को राहत मिली हो या न मिली हो, भाजपा और उसके साथी दलों को जरूर आम आदमी का भरोसा मिला। इस भरोसे को आगे ले जाते इसके पहले मध्यप्रदेश की जनता को जोर का झटका बहुत जोर से लगा जब अखबारों में खबरें आयी कि प्रदेश सरकार अपने मंत्रियों को नयी गाड़ी और नये बंगले देगी। यही नहीं, स्टेट गैरेज से दो चालक भी दिये जाएंगे। सरकार के इस फैसले का अर्थ तो सरकार जानें लेकिन आम आदमी का निराश होना स्वाभाविक है।
जो नेता कल महंगाई को लेकर हल्ला मचा रहे थे, अब वही नेता नयी गाड़ियों में घूमेंगे। नये बंगलों में रहेंगे और आम आदमी दो जून की रोटी के लिये मर मर कर जीता रहेगा। सरकार अपने मंत्रियों को यह सुविधाएं पहली बार नहीं दे रही है और न ही सुविधाभोगी मंत्रियों की यह पहली बार सूची है। पूर्ववर्ती सरकारों के जमाने में भी ऐसा और कहीं इससे ज्यादा होता रहा है। फैसले का यह वक्त गलत तय किया गया। आज जब महंगाई के लिये जनता के हक में राजनीतिक दल सड़कों पर उतर रहे हैं, तब ऐसी घोषणा आम आदमी को रूला देती है। इसी सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव के पहल की तारीफ की जानी चाहिए जिन्होंने मंत्रालय का काम मंत्रालय में करने की नीति के तहत बंगले से आफिस को बंद कर दिया। इससे न केवल काम में सुविधा होगी बल्कि दोहरे स्टेबलिसमेंट का खर्च बच सकेगा। मंत्री भी आखिर एक सामाजिक प्राणी हैं और उनकी निजता भी होती है किन्तु बंगले में कार्यालय होने से मंत्री की निजता पर बाधा होती है।
हमारी अपेक्षा है कि बाकि मंत्री भी गोपाल भार्गव के नक्शेकदम पर चलकर कुछ मॉडल पेश करें। गोपाल भार्गव से भी हमारी अपेक्षा है कि सरकार के ताजा फैसले को वे अपने ऊपर लागू होने से खुद को बचायें एवं दूसरों को भी ऐसा करने के लिये प्रेरित करें। इससे न केवल नेताओं का आदर्श आम आदमी के सामने प्रस्तुत होगा बल्कि सरकार की छवि भी आम आदमी में अच्छी बन सकेगी।
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